- जानिए क्यों समाज में फैल रहा तेज़ी से नशा
नशा नाश की जड़ है आज नशा चारों ओर बहुत तेजी से फैल रहा है। लोगों के लिए नशा एक गंभीर समस्या बन चुकी है। भारत जैसे युवाओं के देश को नशा मुक्त होने की जरूरत है तभी हम एक विकसित राष्ट्र का निर्माण कर सकेंगे, तभी हमारा देश उज्जवल बन सकेगा।
आज हमारे देश में बहुत सारी बड़ी-बड़ी बीमारियां नशे के सेवन से फैल रहीं हैं।
मादक चीजों में आजकल नशीली दवाओं का नशा सभी प्रकार के लोगों में बढ़ता चला जा रहा है। नशीली दवाओं की बढ़ती लत पूरी पीढ़ी को समाप्त कर रही है। यह स्थिति आने वाली पीढ़ी के सामाजिक और वैयक्तिक स्वास्थ्य के लिए बडी गंभीर चुनौती है। नई पीढी नशीली दवाओं की ओर बढी तेजी से आकर्षित हो रही है। एक पूरी पीढी नशे के गर्त में डूब रही है। आइये, इसकी पडताल करें।
मादक द्रव्यों का प्रयोग एवं नशे की बढ़ती लत आजकल गंभीर चिन्ता का विषय है। आज की यह स्थिति आने वाली पीढी के लिए सामाजिक व्यवस्था में साम्य, और सामाजिक एवं वैयक्तिक स्वास्थ्य के लिये प्रश्नवाचक बन जायेगी।
प्राचीन भारत में सोमरस का प्रयोग किया जाता था।
जो ऋिषिमुनि युगदृष्टा होते थे उनके द्वारा इष्ट सिद्धि के क्रम में व्यवधान न हो, इस उद्देश्य से चित्तवृत्ति निरोध के लिये सोमपान प्रचलित रहा।
मध्य युग में स्वस्थ जीवन के लिये मादक द्रव्यों का सेवन किया जाता था। उन्हें सामाजिक आवश्यकता समझा जाता था। प्रायः उच्च अभिजात्य वर्ग इनका उपयोग अधिक करते थे। प्रारंभ से ही हमारे समाज में वर्ण व्यवस्था के अनुसार ही विभिन्न वर्णाें के रीति रिवाज, आहार, व्यवहार, वस्त्राभूषण तथा व्यवसायादि निर्धारित रहे है। आज भी मादक द्रव्यों के प्रयोग का संबंध, धर्म, जाति, क्षेत्र, अथवा वर्ग समूह में देखने को मिलता है। कुछ वर्णों में मद्यपान परम्परा रही है। किन्तु आज के युग मे मद्यपान पर उनका आधिपत्य नहीं रहा है। अब तो कुछ वर्ण, धर्म अथवा जाति विशेष, समय-समय पर इन मादक द्रव्यों का प्रयोग समूह में अथवा व्यक्तिशः करते है। यथा होली-दीपावली के अवसर पर भांग, गांजा आदि सामान्यतया व्यवहृत होते है। आतिथ्य स्वरूप भी इनका व्यवहार विवाह जन्मोत्सवादि अन्य सामाजिक एवं पारिवारिक उत्सवों पर वर्ग विशेष में अभिजात्य वर्ग में सम्पन्नता के कारण मादक द्रव्य प्रायः प्रयुक्त होते है। ग्रामीण श्रमिक वर्ग भी इससे अछूता नहीं रहा है। शहरी जीवन में सामाजिक नियंत्रण एवं सामुदायिकता का अभाव होने से घर से बाहर, व्यक्ति मादक द्रव्यों के सेवन के लिये मुक्त रहता है। मध्य वर्ग के लोग प्रायः धूम्रपान करते है। यदा कदा मद्यपान भी। उच्च, मध्यवर्ग और उच्च अभिजात्य वर्ग मद्यपान करते है।
राहत की तलाश:
लोग नशे से पीछा छुड़ाने के लिए हजारों उपाय करते हैं फिर भी निराशा ही हाथ लगती है। इसी बीच वर्तमान में व्यक्ति को पुर्ण रुप से नशा मुक्त करने वाले एकमात्र संत रामपाल जी महाराज ही गुरु जिनके द्वारा बताई गई भक्ति व ज्ञान से व्यक्ति को नशे से कितना नुक्सान होता है और हमारे शरीर में रह रहे देवी देवता भी इससे दुखी हैं। ये पता लग जाता है जिससे वह व्यक्ति नशे से दूर भागने लगता है।
संत रामपाल जी महाराज के लाखों शिष्य नशे से दूर अपना सुखमय जीवन जी रहे हैं
अधिक जानकारी हेतु पढ़ें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा व जीने की राह
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