बाल विवाह को रोको

यह सोच कर बड़ा अजीब लगता हैं कि वह भारत जो अपने आप में एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा हैं उसमें आज भी एक ऐसी कुरीति जिन्दा हैं। एक ऐसी कुरीति जिसमें दो अपरिपक्व लोगो को जो आपस में बिलकुल अनजान हैं उन्हें जबरन ज़िन्दगी भर साथ रहने के एक बंधन में बांध दिया जाता हैं और वे दो अपरिपक्व बालक शायद पूरी ज़िन्दगी भर इस कुरीति से उनके ऊपर हुए अत्याचार से उभर नहीं पाते हैं और बाद में स्तिथियाँ बिलकुल खराब हो जाती हैं और नतीजे तलाक और मृत्यु तक पहुच जाते हैं।



आज के समाज के ठेकेदार खुद बाल विवाह को बढ़ावा दे रहे हैं। जब दो अनजान लोगों को एक बन्धन बांध देते हैं तो वहीं समाज के ठेकेदार जिम्मेदारी लें कि उन दोनों के बीच कभी कोई झगड़ा ना हो ओर उनका पारिवारिक जीवन सुखद रहे।




बाल विवाह करने वालों से भगवान भी खुश नहीं हैं। सरकार ने व हमारे महापुरुषों ने हमेशा समाज सुधार का काम किया है उन्होने विवाह की एक उम्र तय कर रखी है 18 वर्ष की लड़की ओर 21 वर्ष का लड़का। उससे पहले जो भी विवाह होता है उसमें उस गांव के पंच लोग लड़की लड़के के परिवार वालों को सजा होनी चाहिए जिससे समाज में फैल रही कुरितियां से अन्य लोग बस सके।



वर्तमान में समाज सुधारक काम केवल संत रामपाल जी महाराज कर रहे हैं उनके बताए अनुसार लाखों लोगों ने नशा त्याग दिया, दहेज लेना देना छोड़ दिया, बाल विवाह करना छोड़ दिया ओर विवाह में होने वाले फ़ालतू के आडंबरों को छोड़कर मात्र 17 मिनट में सादा सिम्पल तरीके से विवाह कर रहे हैं जिसमें ना दहेज लिया जाता है ना दिया जाता है ना बैंड-बाजे बजते हैं ना घोड़ी सजती है।





सच्चे समाजसेवी समाज सुधारक तो संत रामपाल जी महाराज है लोग उनके द्वारा लिखित पुस्तकें पढकर इस मिशन में जुड़ रहे हैं।
आप भी पढ़ें पवित्र पुस्तक जीने की राह व ज्ञान गंगा
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Milan Tomic

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